गल्फ देशों में काम करने गए कई भारतीय या तो मारे जाते हैं या आत्महत्या कर लेते हैं। पिछले चार सालों में गल्फ देशों में मरने वाले भारतियों के संख्या 28,523 है। जिनमें मरने वालों की संख्या सबसे ज़्यादा तेलांगना ,यूपी, बिहार आदि राज्यों से है। काम की खोज में लाखों लोग गल्फ देशों में जाते हैं लेकिन वहां की महंगाई परिवार की देख रेख करने के उनके सपनों को ही नहीं बल्कि उन्हें भी तोड़ देता है। 2017 के आकड़ों के मुताबिक गल्फ देशों में करीब 22.53 लाख लोग रहते हैं।
इन देशों में नौकरी के लिए गए भारतीयों की जान कार्यस्थल में दुर्घटना, दिल का दौरा, या आत्महत्या की वजह से हो जाती है। इन लोगों पर क़र्ज़ उतारने , परिवार सँभालने जैसे बोझ रहते हैं कई लोग तो सालों अपने परिवार का हाल चाल ताज नहीं जान पाते। टाइम्स ऑफ़ इंडिया के रिपोर्ट के अनुसार इन देशों में काम की स्थिति इतनी खराब है कि 15 लाख का मुआवजा देने से बचने के लिए सड़क दुर्घटनाओं में मरने वाले लोगों के मरने की वजह दिल का दौरा बता दिया जाता है। आपको क्या लगता है लोग इस तरह की स्थितियों के बावजूद भी क्यों काम करने जाते हैं। क्या यह भारत में आर्थिक अवसर की कमी के कारण है?