थोड़ा सा पाउडर और झाग ढेर सारा आगे की लाइन सभी को याद होगी जी हाँ वाशिंग पाउडर निरमा इस कैची जिंगल और सफ़ेद चमचमाती फ्रॉक को पूरा देश जान्ने लगा वो भी तब जब सर्फ ने डिटर्जेंट मार्किट में मोनोपॉली हासिल की हुई थी 1969 वो वक़्त था जब सर्फ का दावा था। कपड़ो से दाग धब्बे बिलकुल हटा देने का लेकिन तब सबसे बड़ी समस्य थी सर्फ की कीमत सर्फ 10 से 15 रूपए का आता था। और इसके चलते मिडल क्लास घरो में साबून के अलावा कोई और चॉइस थी नहीं तब करसन भाई पटेल जो के गुजरात में माइनिंग और जियोलॉजी डिपार्टमेंट में सरकारी केमिस्ट थे। उन्होंने इस समस्य का हल निकाला और घर घर जाकर मात्र 3 रूपए में निरमा को मनी बैक गारंटी के साथ बेचा। आपको बतादे निरमा नाम भी करसन भाई ने अपनी बेटी निरुपमा के नाम पर रखा था जो एक हादसे में गुज़र गई थी अहमदाबाद में निरमा काफी लोकप्रिय हो चूका था फिर क्या पटेल जी ने अपनी नौकरी छोड़ने का फैसला किया और निरमा को ही अपना लक्ष्य बना लिया टीवी पर विज्ञापन देकर इसे सभी लोगो तक पहुंचाने की कोशिश की गई एक समय ऐसा भी आया जब निरमा सर्फसे भी ज़्यदा बिका उन्होंने निरमा को केवल एक ब्रांड ही नहीं बल्कि सबकी पसंद निरमा बनाया वैसे आप कौन सा डिटर्जेंट इस्तेमाल करना पसंद करते है ?