पूरी दुनिया का निर्माण बड़े ही अनोखे तरीके से हुआ है और कुछ ऐस यही अनोखा है भारत का निर्माण। भूवैज्ञानिक बताते है की भारत के निर्माण में कैलाश पर्वत ने एक बड़ी ही एहम भूमिका निभाई है अरबों साल पहले जब मात्र एक नदी (जिसे भूवैज्ञानिकों ने इंडो ब्रह्मा का नाम दिया है) बहती थी। भारत की तीन महत्वपूर्ण नदी इसी नदी से निकल कर आती है।
जब हिमालय पर्वत का विकास होने लगा नदी अलग अलग शाकहों में बंटने लगी। और इसी दौरान भगवान शिव का घर माने जाने वाली कैलाश पर्वत ने भारत की तीन महानदियों के निर्माण में मदद की। अरबों सालों पहले मात्र एक ही महाद्वीप हुआ करता था जो आज कई बदलावों के बाद भारत, अफ्रीका , दक्षिण अमेरिका जैसे देशों में तब्दील हो चूका है।
भारत का निर्माण कुछ 50 करोड़ साल के पहले हुआ जब यूरेशियन की उच्चसमभूमि से टकराई जिसकी वजह से हिमालय का विकास शुरू हुआ। हिमालय के विकास में भी करोड़ों साल लगे इसी निर्माण के द्वारं भारी वर्षा हुई जिसके कारन हिमालय में कई काटव बने। ये वो समय था जब मानसरोवर के ग्लेशियरों से ब्रम्हा और सिवालिक नदी भी उभरने लगी। इसी दौरान महानदी इंडो ब्रह्मा भी पश्चिमी दिशा में बढ़ने लगी जैसी आज नैनीताल के नाम से जाना जाता है।
जब कैलाश पर्वत का विकास हुआ तो इसने इस महानदी को दो भागों में बांट दिया जो पूरब और पश्चिम दिशा में बहने लगी। आने वाले समय में इन पाहड़ों और ग्लेशियरों ने और भी कई बदलाव देखें और इन्ही बदलावों में एक था सिवालिक पर्वत का विकास। इस पर्वत के विकास के कारन और भी कई नदियां जैसे गंगा ,रावी इत्यादि नदियां भी उभरी। और फिर कुछ 18 करोड़ साल पहले ने भी अपनी बहाव की दिशा बदल ली और पूरब से पश्चिम को ओर बहने लगी।
जब हिमालय की आकृतियों में बदलाव आने लगे और कई नयी नदियों का विकास हुआ। इन नदियों के विकास के साथ ही इनके किनारों पर कई शहरों का भी निर्माण हुआ जैसे सोलांकि डायनेस्टी, पुष्कर इत्यादि। यानी देखा जाए तो इन सभी नदियों के निर्माण और ख़ास कर के भारत के महत्वपूर्ण नदियों के निर्माण में कैलाश पर्वत ने एक बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।